वैदिक काल से ही हिंदू धर्म में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है । हिंदू धर्म के शास्त्रों में जिनमें वेद, उपनिषदों व पुराणों के अलावा महाभारत व गीता आदि में प्रकृति व पर्यावरण के मुख्य घटकों, जिनमें वृक्ष व जानवर मुख्य हैं, की स्तुति की गई है ।
उपनिषदों व पुराणों में पर्यावरण को आधार बनाकर अनेक आदर्श कथाएं वर्णित है, जो पर्यावरण की रक्षा को प्रेरित करती हैं । इन शास्त्रों में न केवल वृक्ष, पशु-पक्षी बल्कि वायु, हवा, पृथ्वी, आकाश आदि को ईश्वरीय देन बताते हुए उनकी स्वच्छता व रक्षा पर बल दिया गया है ।
अथर्ववेद व ऋग्वेद में अनेक ऐसी स्तुतियां है जो भगवान सूर्य, वायुदेव, अग्निदेव, वरुणदेव, पृथ्वी माता व वन देवता आदि को समर्पित है, जो क्रमशः ताप, वायु, अग्नि, जल पृथ्वी, व वनों के देवता है । मत्स्य पुराण में एक वृक्ष को दस पुत्रों के बराबर वर्णित किया गया है । इसी प्रकार वाराह पुराण में वर्णित है कि यदि कोई व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस फूलों के पौधे, दस फलों के वृक्ष जिनमें 5 अनार, आम व संतरे के वृक्ष सम्मिलित हैं उगाता है वह नरक में नहीं जाता ।
पर्यावरण की शुद्धता को दृष्टिगत रखते हुए ही वेदों में पंचतत्व में अग्नि वायु, पृथ्वी, आकाश व जल को सम्मिलित किया गया है । अथर्ववेद में वनों को पृथ्वी पर स्वर्ग की संज्ञा प्रदान करते हुए उन की शुद्धता और रक्षा का आह्वान किया गया है । चरक संहिता वह मनु-स्मृति में जल प्रदूषण को अपराध की संज्ञा देते हुए दंड का प्रावधान किया गया था, क्योंकि महर्षि मनु के अनुसार जल जीवन का महत्वपूर्ण भाग है ।
जहां तक पर्यावरण के मुख्य घटक वृक्ष व पशु पक्षियों का संबंध है, ऐसे अनेक वृक्ष पशु-पक्षी है जो हमारे देवी देवताओं से संबद्ध होने के कारण पूजनीय है । जहां पुष्प व वृक्षों का संदर्भ है, वहां कमल, वट, अशोक, कदंब, पलाश नीम, पीपल, अंजीर आदि ऐसे वृक्ष है जो शास्त्रों के अनुसार क्रमश: देवी लक्ष्मी, ब्रह्मा, इन्द्रदेव व भगवान बुद्ध, भगवान कृष्ण, गंधर्व, शीतलामाता, भगवान विष्णु, देव गोवर्धन, रुद्र भगवान से संबद्ध होने के कारण वैदिक काल से ही स्तुति योग्य हैं ।
वहीं पशु-पक्षी में शेर, हाथी, बैल, चूहा, बाज, बंदर, मोर, उल्लू, मगरमच्छ, कुत्ता, भालू आदि ऐसे जीव है जो क्रमशः मां दुर्गा, इन्द्र भगवान, शिव, गणेश, विष्णु, प्रभु राम, कार्तिकेय, लक्ष्मी, गंगा, शीतला माता, भैरव व वायु देव-देवियों से संबद्ध होने के कारण पूजनीय है । इस तरह हिंदू धर्म पूजा के जरिए पर्यावरण की रक्षा करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है ।